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Question 2
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-(क) स्वकीयं साधनं किं भवति?
(ख) पथि के विषमा: प्रखरा:?
(ग) सततं किं करणीयम्?
(घ) एतस्य गीतस्य रचयिता क:?
(ङ) स: कीदृश: कवि: मन्यते?
Answer:
(क) बलम्।(ख) पाषाणा:।
(ग) ध्येय स्मरणम्।
(घ) श्रीधर भास्कर वर्णेकर:।
(ङ) राष्ट्रवादी।
Question 3
मञ्जूषात: क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-निधेहि विधेहि जहीहि देहि भज चल कुरु
(क) त्वं विद्यालयं ——————–।
(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं ——————–।
(ग) मह्यं जलं ——————–।
(घ) मूढ! ——————– धनागमतृष्णाम्।
(ङ) ——————– गोविन्दम्।
(च) सततं ध्येयस्मरणं ——————– ।
Answer:
(क) त्वं विद्यालयं चल।(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं विधेहि।
(ग) मह्यं जलं देहि।
(घ) मूढ! जहीहि धनागमतृष्णाम्।
(ङ) भज गोविन्दम्।
(च) सततं ध्येयस्मरणं कुरु।
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Question 4
मञ्जूषात: अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-एव खलु तथा परित: पुरत: सदा विना
(ख) सत्यम् ——————– जयते।
(ग) किं भवान् स्नानं कृतवान् ——————– ?
(घ) स: यथा चिन्तयति ——————– आचरति।
(ङ) ग्रामं ——————– वृक्षा: सन्ति।
(च) विद्यां ——————– जीवनं वृथा।
(छ) ——————– भगवन्तं भज।
Answer:
(क) विद्यालयस्य पुरत: एकम् उद्यानम् अस्ति।(ख) सत्यम् एव जयते।
(ग) किं भवान् स्नानं कृतवान् खलु?
(घ) स: यथा चिन्तयति तथा आचरति।
(ङ) ग्रामं परित: वृक्षा: सन्ति।
(च) विद्यां विना जीवनं वृथा।
(छ) सदा भगवन्तं भज।
Question 5
विलोमपदानि योजयत-- पुरत:विरक्ति:स्वकीयम्आगमनम्भीति:पृष्ठत:अनुरक्ति:परकीयम्गमनम्साहस:
Answer:
- पुरत:पृष्ठत:।स्वकीयम्परकीयम्।भीति:साहस:।अनुरक्ति:विरक्ति:।गमनम्आगमनम्।
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Question 6
लट्लकारपदेभ्य: लोट्-विधिलिङ्लकारपदानां निर्माणं कुरुत-- लट्लकारेलोट्लकारेविधिलिङ्लकारेयथा-पठतिपठतुपठेत्खेलसि——————–——————–खादन्ति——————–——————–पिबामि——————–——————–हसत:——————–——————–नयाम:——————–——————–
Answer:
- लट्लकारेलोट्लकारेविधिलिङ्लकारेयथा-पठतिपठतुपठेत्खेलसिखेलखेले:खादन्तिखादन्तुखादेयु:पिबामिपिबानिपिबेयम्हसत:हसताम्हसेताम्नयाम:नयामनयेम
Question 7
अधोलिखितानि पदानि निर्देशानुसारं परिवर्तयत-
यथा – गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने)
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गिरिशिखरे
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पथिन् (सप्तमी-एकवचने)
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——————–
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राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने)
|
——————–
|
पाषाण (सप्तमी-एकवचने)
|
——————–
|
यान (द्वितीया-बहुवचने)
|
——————–
|
शक्ति (प्रथमा-एकवचने)
|
——————–
|
पशु (सप्तमी-बहुवचने)
|
——————–
|
Answer:
यथा – गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने)
|
गिरिशिखरे
|
पथिन् (सप्तमी-एकवचने)
|
पथि
|
राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने)
|
राष्ट्राय
|
पाषाण (सप्तमी-एकवचने)
|
पाषाणे
|
यान (द्वितीया-बहुवचने)
|
यानानि
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शक्ति (प्रथमा-एकवचने)
|
शक्ति:
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पशु (सप्तमी-बहुवचने)
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पशुनाम
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Question 8
उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
यथा
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पुरत: चरणं निधेहि।
|
आम्
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(क)
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निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति।
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–
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(ख)
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स्वकीयं बलं बाधकं भवति।
|
–
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(ग)
|
पथि हिंस्रा: पशव: न सन्ति।
|
–
|
(घ)
|
गमनं सुकरम् अस्ति।
|
–
|
(ङ)
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सदैव अग्रे एव चलनीयम्।
|
–
|
Answer:
यथा
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पुरत: चरणं निधेहि।
|
आम्
|
(क)
|
निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति।
|
आम्
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(ख)
|
स्वकीयं बलं बाधकं भवति।
|
न
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(ग)
|
पथि हिंस्रा: पशव: न सन्ति।
|
न
|
(घ)
|
गमनं सुकरम् अस्ति।
|
न
|
(ङ)
|
सदैव अग्रे एव चलनीयम्।
|
आम्
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Question 9
वाक्यरचनया अर्थभेदं स्पष्टीकुरुत-
परित:
|
पुरत:
|
नग:
|
नाग:
|
आरोहणम्
|
अवरोहणम्
|
विषमा:
|
समा:
|
Answer:
परित: – ग्रामं परित: उद्यानम् अस्ति।पुरत: – सत्यं पुरत: विजय अस्ति।
नग: – हिमालय: एक महान् नग: अस्ति।
नाग – शिव: नाग: धारयति।
आरोहणम् – किञ्चित यात्री वसयाने आरोहणम् करोति।
अवरोहणम् − किञ्चिदपि वसयानात् अवरोहणम् करोति।
विषमा: – सन्मार्गा: विषमा: भवति।
समा: – कुमार्गा: समा: भवति।
Dyft
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