Tuesday, June 30, 2020

NCERT solution class 8 sanskrit chapter 13 हिमालयः (सन्धि:)


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Question 1

अधोलिखितानां प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तराणि लिखत −
(क) पृथिव्या: मानदण्ड: क:?
(ख) हिमालय: भारतस्य कस्यां दिशि वर्त्तते?
(ग) इन्दो: किरणेषु क: निमज्जति?
(घ) कुमारसंभव महाकाव्यस्य रचयिता क:?
(ङ) हिमालय: गुहासु क रक्षति?

Answer:

(क) हिमालय:।
(ख) उत्तरस्याम् ।
(ग) अङ्क:।
(घ) कालिदास:।
(ङ) अन्धकारम् ।

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Question 2

अधोरेखाङ्कितेभ्य: पदेभ्य: प्रश्ननिर्माणं कुरूत −
(क) हिमालय: उत्तरस्यां दिशि वर्तंते।
(ख) पृथिव्या: मानदण्ड: हिमालय: अस्ति।
(ग) कुमारसम्भवमहाकाव्यं कालिदासेन विरचितम्।
(घ) अस्मिन् पाठे कवि: हिमालयस्य वर्णनं करोति।

Answer:

(क) हिमालय: कस्यां दिशि वर्तते?
(ख) पृथिव्या: मानदण्ड: क: अस्ति?
(ग) कुमारसम्भवमहाकाव्यं केन विरचितम्?
(घ) अस्मिन् पाठे कवि: कस्य वर्णनं करोति?

Question 3

अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिविच्छेदं कुरूत −
(क)
अस्त्युत्तरस्याम्
———————
+
———————
(ख)
नगाधिराज:
———————
+
——————–
(ग)
पूर्वापरौ
———————
+
———————
(घ)
किरणेष्विव
———————
+
———————
(ङ)
यस्यातपवन्ति
———————
+
———————

Answer:

(क)अस्त्युत्तरस्याम्अस्ति+उत्तरस्याम्
(ख)नगाधिराजनग+अधिराज:
(ग)पूर्वापरौपुर्व+अपरौ
(घ)किरणेष्विवकिरणेषु+इव
(ङ)यस्यातपवन्तियस्य+आतपवन्ति

Question 4

मञ्जूषात: शब्दान् चित्वा निर्दिष्टस्तम्भेषु लिखत −
नगाधिराज:दिशिइन्दो:सिद्धा:करिभि:
किरणै:द्रुमाणाम्स्रुतक्षीरतयाक्षुद्रेछायायाम्
ग्रहासुमहाकाव्येश्रृङ्गाणिविघट्टितानाम्मानदण्ड:
प्रभवस्यय:घनानाम्वृष्टिभि:कालिदासेन
     
 
प्रथमाविभक्ति:
तृतीयाविभक्ति:
षष्ठीविभक्ति:
सप्तमीविभक्ति:
यथा
य:
करिभि:
इन्दो:
गुहासु
 
————–
————–
————-
—————-
 
————–
————–
————-
—————-
 
————-
—————
————-
—————-
 
————-
—————
————-
—————–

Answer:

 
प्रथमाविभक्ति:
तृतीयाविभक्ति:
षष्ठीविभक्ति:
सप्तमीविभक्ति:
यथा
य:
करिभि:
इन्दो:
गुहासु
 
नगाधिराज:
किरणै:
प्रभवस्य
दिशि
 
शृङगाणि
वृष्टिभि:
द्रुमाणाम्
महाकाव्ये
 
मानदण्ड:
स्रुतक्षीरतया
घनानाम्
क्षुद्रे
 
सिद्धा:
कालिदासेन
विद्यट्टितानाम्
छायायाम्

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Question 5

अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत −
पृथिव्या:
———————
हिमालये
———————
गुहासु
———————
इन्दो:
———————
छायायाम्
———————

Answer:

पृथिव्या:
पृथिव्या: रक्षणं कुरू।
हिमालये
हिमालये हिम: शोभते।
गुहासु
गुहासु तम: भवति।
इन्दो:
इन्दो: रूपं रोचते।
छायायाम्
छायायां तिष्ठ।

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