A Tiger In The House Summary In English
One day, the narrator’s grandfather was walking down the forest path. His party was at a distance. He found a little tiger and brought him home. Grandfather was the only successful member of the hunting party. The narrator’s grandmother named the tiger cub, Timothy. She brought him up on bottle-milk. Later he was put on a diet of raw mutton and cod liver oil. Afterwards, he was put on the diet of pigeons and rabbits also.
Toto, the monkey pulled the cub’s tail. Toto climbed up the curtain when Timothy lost his temper. He and a mongrel puppy were Timothy’s companions. When the narrator came to live with Grandfather, he became one of the tiger’s favourites. Initially, Timothy was afraid of the puppy. But finally the puppy was allowed to crawl and rest on his back. Timothy’s favourite amusement was to stalk his playmate. He also made a dash at the narrator’s feet. He pretended to bite his ankles.
After sometime, he was of full size. Sometimes he pulled hard at his chain. The narrator kept up with him with great difficulty. He reclined on a long sofa in the drawing-room. He snarled at everybody. He had clean habits. He would scrub his face with his paws like a cat. He slept in the cook’s quarters. He preferred to be taken out in the morning for a walk. He grew less friendly when he became six months old. He also started eating small animals.
A change came over him. He became less friendly, in fact more dangerous Then the grandfather took him to Lucknow. Timothy and grandfather travelled in a first class compartment. In Lucknow the grandfather presented him to the 200. After six months the grandfather went to see Timothy. He stroked the tiger’s forehead, tickled his ears and smacked him across the mouth. The tiger licked Grandfather’s hands. It sprang away only when a leopard in the next cage snarled at him. Many people watched the scene. A keeper of the zoo called the tiger bad tempered. He had no knowledge about the owner of the tiger. Grandfather wished the tiger to be transferred to some other cage. A leopard in the next cage would constantly rush at Timothy. However, he could not meet the superintendent.
The Grandfather returned to the tiger’s cage. To say goodbye, he stroked and slapped the tiger. Another keeper observed him with alarm. He also recognised the Grandfather. He informed the Grandfather about Timothy’s death of pneumonia. He also informed the Grandfather that the dangerous tiger was trapped only last month. The tiger was still licking Grandfather’s arm. He was smelling fresh food. Grandfather somehow withdrew his hand from the cage. He gave the keeper a scornful look and bade the tiger “Goodnight’.
A Tiger In The House Summary In Hindi
एक दिन लेखक के दादा जंगल के रास्ते में चहलकदमी कर रहे थे। उनके दल के लोग दूर थे। उन्हें एक छोटा सा बाघ मिला और उसे घर ले आये। उस शिकारी दल में दादा अकेले सफल सदस्य थे। बाघ के उस बच्चे का नाम लेखक की दादी ने टिमोथी रखा। उन्होंने उसे बोतल से दूध पिलाकर पाला। बाद में उसे बकरे का कच्चा गोश्त और मछली के तेल की खुराक दी गयी। इसके बाद उसे कबूतरों और खरगोशों का भोजन भी दिया गया।
टोटो नामक बन्दर, बाघ के बच्चे की पूंछ को खींचा करता था। जब टिमोथी को गुस्सा आता तब टोटो परदे पर चढ़ जाया करता था। वह और दोगली नसल का एक पिल्ला, टिमोथी के साथी थे। जब लेखक दादा के पास रहने के लिए आया तो वह बाघ के प्रियों में बन गया। प्रारम्भ में टिमोथी, पिल्ले से डरता था परन्तु बाद में उसे उस (टिमोथी) की पीठ पर रेंगने और विश्राम करने दिया जाता था। अपने खेल के साथियों का पीछा करना, टिमोथी का मनचाहा मनोविनोद था। वह लेखक के पैरों के ऊपर भी जोर से प्रहार करता था। वह उसके टखनों को काटने का बहाना करता था।
कुछ समय के पश्चात् वह पूरे आकार का हो गया। कई बार वह अपनी जंजीर को तेज झटका मारता था। लेखक बड़ी मुश्किल से उसे संभाल पाता था। वह ड्राइंग-रूम में एक लम्बे सोफे के ऊपर सोया करता था। वह सभी के ऊपर गुर्राता था। उसकी आदतें बड़ी साफ थीं। बिल्ली की तरह वह अपने चेहरे को अपने पंजों से रगड़ता था। वह रसोइया के क्वार्टरों में सोया करता था। प्रातः काल, सैर पर ले जाया जाना, उसे पसन्द था। छह महीने की आयु हो जाने पर वह उतना मैत्रीपूर्ण नहीं रहा। उसने छोटे-छोटे पशुओं को खाना भी प्रारम्भ कर दिया।
उसमें एक बदलाव आ गया। वह कम मैत्रीपूर्ण, असल में अधिक खतरनाक हो गया। तब दादा, उसे लखनऊ ले गए। टिमोथी और दादा ने फर्स्ट क्लास के एक डिब्बे में यात्रा की। लखनऊ में दादा ने चिड़ियाघर के लिए उसे भेंट कर दिया। छ: महीने बीत जाने पर दादा, टिमोथी को देखने गए। उन्होंने बाघ के सिर को थपथपाया, उसके कानों को सहलाया और उसके मुँह पर आहिस्ता से हथेली से प्रहार किया। बाघ ने दादा के हाथों को चाटा। वह केवल तभी उछल कर दूर पहुँच जाता था जब कभी, अगले पिंजरे में रहने वाला एक तेंदुआ उसके ऊपर गुर्राता था। बहुत से लोगों ने वह दृश्य देखा। चिड़ियाघर के एक नौकर ने बाघ को बदमिज़ाज़ कहा। उसे बाघ के स्वामी के बारे में ज्ञात नहीं था। दादा चाहते थे कि बाघ को किसी दूसरे पिंजरे में स्थानान्तरित कर दिया जाए। बगल के पिंजरे का तेंदुआ लगातार उस (टिमोथी) की तरफ दौड़ता था। परन्तु उनकी अधीक्षक से मुलाकात नहीं हो पाई।
दादा, बाघ के पिंजरे के पास लौट आए। बाघ को अलविदा कहने के लिए उन्होंने उसे सहलाया और थपकियाँ मारी। एक अन्य परिचर ने भय की आशंका से उसे देखा। उसने दादा को भी पहचान लिया। निमोनिया से हुई, टिमोथी की मुत्यु के बारे में भी उसने दादा को सूचित किया। उसने दादा को यह भी सूचना दी कि उस भयानक बाघ को पिछले महीने ही पकड़ा गया था। बाघ, अभी भी दादा की बाँह को चाट रहा था। वह ताज़ा भोजन को सुंघ रहा था। दादा ने किसी तरह अपने हाथ को पिंजरे से बाहर निकाला। उसने परिचर की ओर घृणा भरी दृष्टि से देखा और बाघ को “शुभरात्रि” कहा।
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