Expert Detectives Summary In English
Soul of the Chapter (पाठ का सारांश)
Mysterious Mr Nath
Nishad and his 10 year old sister Maya has always been inquisitive about their neighbour Mr Nath. One day their marbles went inside his house and Nishad got a chance to catch a glimpse of Mr Nath. To Nishad he appeared to be a crook running away from the cops. He had a bad scar on his face and didn’t have any friends. But Mr Nath is a patient to their mother who is a doctor by profession. Their mother has told them that he is a polite man. Nishad is also called Seven because his name meant the seventh note on the musical scale.
Nishad and his 10 year old sister Maya has always been inquisitive about their neighbour Mr Nath. One day their marbles went inside his house and Nishad got a chance to catch a glimpse of Mr Nath. To Nishad he appeared to be a crook running away from the cops. He had a bad scar on his face and didn’t have any friends. But Mr Nath is a patient to their mother who is a doctor by profession. Their mother has told them that he is a polite man. Nishad is also called Seven because his name meant the seventh note on the musical scale.
Soft Hearted Nishad
The two children were busy discussing their mysterious neighbour. They argued about his financial wealth, how he manages his food and so on. Nishad thinks that he is poor and doesn’t have much money while Maya believes that he has got a lot of it and has kept it hidden somewhere in his room. Then, it was Mr Nath’s scar that bothered the children. They thought that he might have got during a shoot-out with the police. On their mother’s birthday, Nishad went along her to the clinic. He happened to see Mr Nath there.
The two children were busy discussing their mysterious neighbour. They argued about his financial wealth, how he manages his food and so on. Nishad thinks that he is poor and doesn’t have much money while Maya believes that he has got a lot of it and has kept it hidden somewhere in his room. Then, it was Mr Nath’s scar that bothered the children. They thought that he might have got during a shoot-out with the police. On their mother’s birthday, Nishad went along her to the clinic. He happened to see Mr Nath there.
He was worried seeing Mr Nath’s gaunt appearance. The evening Nishad went to his place and gave a bar of chocolate to Mr Nath. Nishad befriended Ramesh, the boy who used to bring food for Mr Nath from a nearby restaurant. Ramesh informed his that Mr Nath had two meals a day and tea in morning and evening. His meal was the same everyday and always used to pay in cash and tips as well. He brings two lunches in Sunday and it is the same visitor he finds there. The visitor was a tall, stout and spectacled man who talks a lot while Mr Nath is quiet person. The children were thrilled and they were discussing the possibilities of Mr Nath being a crook.
Maya’s Facts
Their school opened after the summer holidays the next day but they could not attend it because of heavy rains. Nishad was busy reading his comics when Maya informed what she had done. She had made a note of everything they knew about Mr Nath calling them facts and gave a number to each one of them. Nishad disagreed with Maya for calling Mr Nath a criminal.
Their school opened after the summer holidays the next day but they could not attend it because of heavy rains. Nishad was busy reading his comics when Maya informed what she had done. She had made a note of everything they knew about Mr Nath calling them facts and gave a number to each one of them. Nishad disagreed with Maya for calling Mr Nath a criminal.
He felt bad for him for having no friends while Maya thought that the visitor who comes to his place on Sunday may be his partner who knows all his secrets and may be the loot as well. Both the children had an argument and Nishad was upset with Maya for calling Mr Nath a crook. Nishad was interested only in finding out why Mr Nath was so thin and a loner. He wanted to be his friend and Maya’s theories didn’t have any impact on Seven.
Expert Detectives Summary In Hindi
रहस्यमयी मिस्टर नाथ
निषाद तथा उसकी दस साल की बहन माया दोनों ही अपने पड़ोसी मिस्टर नाथ को लेकर हमेशा ही उत्सुक रहा करते थे। एक बार निषाद का कंचा गलती से मिस्टर नाथ के घर के अंदर चला गया और उसे घर के अंदर झाँकने का एक मौका मिल गया। निषाद को लगा कि वह कोई अपराधी है, जो पुलिस से बचता फिर रहा है। उसके चेहरे पर एक घाव का निशान है तथा उसका कोई मित्र नहीं है, पर उनकी माँ के लिए मिस्टर नाथ एक मरीज है और उनकी माँ ने बताया था कि वह एक भद्र व्यक्ति है। निषाद का दूसरा नाम ‘सेवन’ भी था, क्योंकि उसका नाम संगीत के सातवें नोट निषाद’ पर था।
निषाद तथा उसकी दस साल की बहन माया दोनों ही अपने पड़ोसी मिस्टर नाथ को लेकर हमेशा ही उत्सुक रहा करते थे। एक बार निषाद का कंचा गलती से मिस्टर नाथ के घर के अंदर चला गया और उसे घर के अंदर झाँकने का एक मौका मिल गया। निषाद को लगा कि वह कोई अपराधी है, जो पुलिस से बचता फिर रहा है। उसके चेहरे पर एक घाव का निशान है तथा उसका कोई मित्र नहीं है, पर उनकी माँ के लिए मिस्टर नाथ एक मरीज है और उनकी माँ ने बताया था कि वह एक भद्र व्यक्ति है। निषाद का दूसरा नाम ‘सेवन’ भी था, क्योंकि उसका नाम संगीत के सातवें नोट निषाद’ पर था।
दयालु निषाद
दोनों बच्चे अपने रहस्यमयी पड़ोसी के बारे में चर्चा कर रहे थे। वे उसकी आर्थिक स्थिति, उसके खान-पान का जरिया इत्यादि की चर्चा कर रहे थे। निषाद के अनुसार, वह एक गरीब व्यक्ति था। उसके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, जबकि माया को लगता था कि उसके पास ढेर सारा धन है और उसने इस धन को अपने कमरे में छिपाकर रखा है। इसके बाद मिस्टर नाथ के चेहरे का घाव दोनों बच्चों को परेशान कर रहा था। उन लोगों को लग रहा था कि उसे यह जख्म पुलिस से मुठभेड़ के दौरान लगा होगा। अपनी माँ के जन्मदिन पर, निषाद उनके साथ क्लीनिक तक गया।
दोनों बच्चे अपने रहस्यमयी पड़ोसी के बारे में चर्चा कर रहे थे। वे उसकी आर्थिक स्थिति, उसके खान-पान का जरिया इत्यादि की चर्चा कर रहे थे। निषाद के अनुसार, वह एक गरीब व्यक्ति था। उसके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, जबकि माया को लगता था कि उसके पास ढेर सारा धन है और उसने इस धन को अपने कमरे में छिपाकर रखा है। इसके बाद मिस्टर नाथ के चेहरे का घाव दोनों बच्चों को परेशान कर रहा था। उन लोगों को लग रहा था कि उसे यह जख्म पुलिस से मुठभेड़ के दौरान लगा होगा। अपनी माँ के जन्मदिन पर, निषाद उनके साथ क्लीनिक तक गया।
वहाँ पर उसने मिस्टर नाथ को देखा। वह उनके दुबले-पतले शरीर को देखकर चौंक गया। उस दिन शाम को निषाद उनके घर पर गया एवं उसे चॉकलेट दी। निषाद थोड़ी देर के लिए रमेश से मिला, जो पास के रेस्तरों से मिस्टर नाथ के लिए भोजन लाया करता था। रमेश ने उसे बताया कि मिस्टर नाथ दिन में दो बार भोजन करते हैं तथा सुबह और शाम को चाय लेते हैं। उनका भोजन प्रतिदिन एक समान होता था और वे बख्शीश के साथ नकद भुगतान करते थे। रविवार के दिन वह भोजन की दो थाली लाता और हर बार उसे वही अतिथि नजर आता था। अतिथि एक लंबा, हट्टा-कट्टा बंदा था और चश्मा पहनता था। वह बातूनी था, जबकि मिस्टर नाथ एक शांत स्वभाव का व्यक्ति था। बच्चे सहम गए थे और अब दोनों को लग रहा था कि यह व्यक्ति निश्चित रूप से दुष्ट है।
माया के तथ्य
गर्मी की छुट्टियों के बाद उनका स्कूल अगले दिन खुल गया था, पर भारी बारिश की वजह से वे स्कूल नहीं जा सके। जब निषाद कॉमिक पढ़ने में व्यस्त था, तो माया ने उसे कुछ बताना चाहा। उसने मिस्टर नाथ से जुड़ी प्रत्येक बात नोट कर रखी थी तथा उसे ‘तथ्य’ का नाम दिया और प्रत्येक तथ्य को एक अंक प्रदान कर रखा था। निषाद असहमत था कि माया उसे अपराधी कह रही है।
गर्मी की छुट्टियों के बाद उनका स्कूल अगले दिन खुल गया था, पर भारी बारिश की वजह से वे स्कूल नहीं जा सके। जब निषाद कॉमिक पढ़ने में व्यस्त था, तो माया ने उसे कुछ बताना चाहा। उसने मिस्टर नाथ से जुड़ी प्रत्येक बात नोट कर रखी थी तथा उसे ‘तथ्य’ का नाम दिया और प्रत्येक तथ्य को एक अंक प्रदान कर रखा था। निषाद असहमत था कि माया उसे अपराधी कह रही है।
निषाद को मिस्टर नाथ के कोई मित्र न होने पर बहुत बुरा लग रहा था, पर माया के अनुसार, प्रत्येक रविवार को उससे मिलने आने वाला व्यक्ति उसका आपराधिक साथी हो और उसके राज एवं लूट के सामान छिपाने की सारी जगह भी जानता हो। दोनों बच्चों के बीच इस बात को लेकर एक तीखी बहस हो गई थी और निषाद को इस बात का बुरा लग रहा था कि माया उसे अपराधी मान रही है। निषाद बस इतना जानना चाहता था कि मिस्टर नाथ इतने दुबले-पतले तथा अकेले क्यों हैं? वह उनका एक मित्र बनना चाहता था और माया के तथ्यों पर निषाद को जरा भी यकीन नहीं था।
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