Thursday, July 23, 2020

NCERT class 7 English Honeycomb Chapter 3 summary Gopal and the Hilsa Fish (notes) explained(translation) in hindi

Gopal and the Hisa Fish Summary In English

Soul of the Chapter (पाठ का सारांश)
The Season of Hilsa Fish and a Challenge to Gopal
It was the season for Hilsa fish and it was Hilsa that everyone was talking about. In the market fishmongers were selling only Hilsa fish luring customers to buy it. Even in the royal court, courtiers were talking about Hillsa.
This made the king lose his temper. He believed that no one could stop the people from talking about Hilsa fish not even Gopal who was the wisest man in his court. The king challenged Gopal to buy a huge Hilsa fish and bring it to the palace without anyone asking him about it. Gopal accepted the challenge.
Handing for the Challenge
After a few days, Gopal shaved beard from half of his face and smeared ash on himself. He wore rags and looked disgraceful. His wife was shocked and asked him not to leave home like this, but Gopal kept on telling her that he was going to buy a huge Hilsa fish. She thought Gopal had gone mad. At the market Gopal bought a huge Hilsa fish and started walking towards the palace. No one noticed the fish, but everyone was looking at Gopal walking strangely with his shabby clothes. People called him mystic and mad.
Gopal Won the Challenge
He went to meet the king but was stopped by the guards. He started dancing and singing loudly in front of the royal palace. The king ordered his guards to produce the man before him. Everyone in the court was shocked seeing Gopal dressed up like a mad. The king questioned Gopal about the reason for his weird attire. Gopal reminded the king about the challenge and told him that from the market to the royal palace, no one had asked him a single word about the Hilsa fish. The king burst into laughter and accepted that Gopal had done the impossible once more.

Gopal and the Hisa Fish Summary In Hindi

हिल्सा मछली के मिलने का समय और गोपाल को चुनौती
हिल्सा मछली के मिलने का समय आ गया था और लोग हर तरफ केवल इसी की चर्चा कर रहे थे। बाजार में मछली विक्रेता केवल हिल्सा मछली ही बेच रहे थे और ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। यहाँ तक कि राज दरबार में भी दरबारी बस हिल्सा मछली की ही बात कर रहे थे।
इस बात से राजा एकदम गुस्से में आ गए थे। राजा को लग रहा था कि कोई भी हिल्सा मछली के बारे में हो रही चर्चा को नहीं रोक पाएगा, यहाँ तक कि गोपाल भी नहीं, जोकि दरबार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता था, इसलिए राजा ने गोपाल को एक मुश्किल काम सौंपा कि वह बाजार जाए और एक बड़ी-सी हिल्सा मछली खरीद कर दरबार में लेकर आए, पर शर्त यह थी कि कोई भी इस मछली के बारे में बात नहीं करेगा। गोपाल ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।
चुनीती का सामना करना
कुछ दिनों के बाद, गोपाल ने आधे चेहरे पर से दाढ़ी को हटा दिया और अपने पूरे शरीर में राख मल ली। इसके बाद उसने फटे हुए कपड़े पहन लिए और बिल्कुल भद्दा दिखने लगा। उसकी पत्नी एकदम आश्चर्यचकित थी और उसने गोपाल से इस हाल में बाहर नहीं जाने को कहा। इतने पर गोपाल ने सिर्फ इतना कहा कि वह एक बड़ी-सी हिल्सा मछली खरीदने जा रहा है। उन्हें लगा कि गोपाल पागल हो गया है। बाजार जाकर गोपाल ने एक बड़ी-सी हिल्सा मछली खरीदी और वे राजमहल की तरफ चल पड़े। किसी ने भी हिल्सा मछली की तरफ ध्यान नहीं दिया और सभी लोग केवल गोपाल की तरफ ही देख रहे थे, जो अजीब से कपड़े पहनकर चले जा रहा था। सभी लोग उसे पागल कह रहे थे।
गोपाल चुनौती को सफलतापूर्वक समाप्त कर गए
वे राजा से मिलने गए, पर रक्षकों ने उन्हें रोक लिया। वे राजा के महल के सामने ही नाचने और गाने लगे। राजा ने आदेश दिया कि उस व्यक्ति को पकड़कर उसके सामने पेश किया जाए। दरबार में सभी गोपाल को एक पागल के जैसे कपड़े पहने देखकर दंग रह गए थे। राजा ने गोपाल से इस अजीब पोशाक को पहनने का कारण पूछा। गोपाल ने राजा को उस चुनौती के बारे में याद दिलाया और कहा कि बाजार से लेकर महल तक किसी ने भी उससे हिल्सा मछली के बारे में नहीं पूछा। राजा जोर से हँस पड़े और स्वीकार कर लिया कि गोपाल ने एक और बार असंभव को संभव कर दिखाया है।

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